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जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत भ्रष्ट आचरण का विवेचन किया गया है जिसमें निर्वाचन की स्वच्छता को सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि अभ्यर्थी किसी ऐसे आचरण का भागीदार ना बने जो निर्वाचन के लोकतांत्रिक तरीकों पर कुप्रभाव डालें एवं निर्वाचन के वास्तविक उद्देश्य को दूषित करें ।
अधिनियम के वर्तमान प्रावधानों में अग्र अंकित आठ प्रकार के कार्यों को भ्रष्ट आचरण की परिभाषा में सम्मिलित किया गया है
1. रिश्वत
2. असम्यक असर डालना
3. धर्म , मूल वंश, जाति समुदाय या भाषा के आधार पर किसी व्यक्ति के लिए मत देने की अपील
4. किसी अभ्यर्थी के व्यक्तिक शील या आचरण के संबंध में प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले प्रकल्पित कथन
5. मतदान केंद्र या मतदान के लिए अभ्यर्थी द्वारा अवैधानिक रूप से वाहनों का उपयोग
6. निर्वाचन हेतु निर्धारित व्यय सीमा से अधिक व्यय करना
7. सरकारी सेवा में कार्यरत विशेष वर्गों से सहायता प्राप्त करना
8. अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता या अन्य व्यक्ति द्वारा बूथ का बलात ग्रहण
1. रिश्वत व्यक्ति के धर्म, मूल वंश , जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर किसी व्यक्ति के लिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 -1 के अंतर्गत रिश्वत को स्वीकार करना भ्रष्ट आचरण में माना गया है। रिश्वत का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि रिश्वत अर्थात किसी अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता द्वारा अथवा किसी अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता की सम्मति से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी भी व्यक्ति को वह चाहे जो कोई भी हो, किसी परितो षण का ऐसा दान , प्रस्थापना या वचन , जिसका प्रत्यक्ष सह उद्देश्य हो कि किसी व्यक्ति को निर्वाचन में अभ्यर्थी के रूप में खड़े या ना होने के लिए अभ्यर्थी ता वापस लेने या न लेने के लिए अथवा किसी निर्वाचन को किसी निर्वाचन में मत देने के या मत देने से पृथक रहने के लिए उत्प्रेरित किया जाए, अथवा जो किसी व्यक्ति के लिए इस बात से कि वह इस प्रकार खड़ा हुआ या नहीं था उसने अपनी अभ्यर्थीता वापस ले ली या नहीं अथवा किसी निर्वाचन के लिए इस बात को कि उसने मत दिया या मत देने से पृथक रहा, इनाम के रूप में हो , चाहे वह हेतु के रूप में या साथ कोई पारितोषिक प्राप्त करना या प्राप्त करने के लिए करार करना है किंतु इसमें परितोषण पद धन रुपी परितोषणा या धन में प्रकल्पनीय परितोषणाओं तक ही निर्बंधित नहीं है और इसके अंतर्गत सब रूप के मनोरंजन और इनाम के लिए सब रूप में नियोजन आते हैं किंतु किसी निर्वाचन में या निर्वाचन के प्रयोजन के लिए सदभावना पूर्वक उपगत और जन प्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 78 में निर्दिष्ट निर्वाचन व्यय के लेख में सम्यक रूप से प्रविष्ट किन्हीं व्ययों के संदर्भ इसके अंतर्गत नहीं आते हैं
2. असम्यक असर डालना किसी निर्वाचन अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता की या अभ्यर्थी उसके निर्वाचन अभिकर्ता की सम्मति से किसी अन्य व्यक्ति की ओर से किया कोई प्रत्यक्षत या परोक्ष हस्तक्षेप या हस्तक्षेप का प्रयत्न असाम्य असर डालने में आता है किंतु इसके अपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना उसमें यथा निर्दिष्ट ऐसे किसी व्यक्ति के बाबत जो किसी अभ्यर्थी या किसी निर्वाचक या ऐसे किसी व्यक्ति को जिसमें अभ्यर्थी या निर्वाचन हितबद्ध है किसी प्रकार की क्षति जिसके अंतर्गत सामाजिक बहिष्कार और किसी जाति या समुदाय से बाहर करना या निष्कासन आता है, पहुंचा ने की धमकी देता है, अथवा किसी अभ्यर्थी या निर्वाचन को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करता है या उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करता है कि वह कोई ऐसा व्यक्ति जिसमें वह हितबद्ध है , देव प्रसाद या आध्यात्मिक परिंदा का भाजन हो जाएगा तो यह समझा जाएगा कि वह ऐसे अभ्यर्थी या निर्वाचन के निर्वाचन अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में इस खंड के अर्थ के अंदर हस्तक्षेप करता है। लोक नीति की घोषणा या लोक कार्रवाई का वचन या किसी वैद्य अधिकार या प्रयोग मात्र, जो किसी निर्वाचन अधिकार में हस्तक्षेप करने के आशय के बिना है, इस खंड के अंतर्गत हस्तक्षेप करना नहीं समझा जाएगा
3. धर्म इत्यादि के नाम पर अपील किसी व्यक्ति के धर्म, मूल वंश ,जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर किसी व्यक्ति के लिए मत देने से विरत रहने की अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता द्वारा या अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता की सम्मति से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अपील या उसे अभ्यर्थी के निर्वाचन की संभावनाओं को अग्रसर करने के लिए या किसी अभ्यर्थी के निर्वाचन पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए धार्मिक प्रतीकों का उपयोग या उनकी दुहाई या राष्ट्रीय प्रतीक तथा राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय सम प्रतिक का उपयोग या दुहाई भ्रष्ट आचरण माना जाएगा किंतु जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अधीन किसी अभ्यर्थी को आवंटित कोई प्रतीक इस खंड के प्रयोजनों के लिए धार्मिक प्रतीक या राष्ट्रीय प्रतीक नहीं समझा जाएगा ।
4. मिथ्या या झूठ कथन निर्वाचन में खड़े किसी अभ्यर्थी को अन्य अभ्यर्थी या उसके अधिकृत सहयोगी द्वारा पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर की गई झूठी एवं मिथ्या टिप्पणियां भ्रष्ट आचरण मानी गई है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 124 4 में वर्णित है कि किसी अभ्यर्थी के व्यक्ति की सील या आचरण के संबंध में या किसी अभ्यर्थी की अभ्यर्थीतता वापस लेने के संबंध में या अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता द्वारा या अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता की सम्मति से किसी अन्य के द्वारा किसी ऐसे तथ्य कथन का प्रकाशन जो मिथ्या है और या तो जिसके मिथ्या होने का उसको विश्वास है या जिसके सत्य होने का वह विश्वास नहीं करता है और उस अभ्यर्थी के निर्वाचन की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए युक्तियुक्त रूप से प्रकल्पित्त कथन है। मिथ्या एवं झूठे कथन की परिभाषा भारतीय दंड संहिता की धारा 171ग मे स्पष्ट की गई है ।
5. वाहन या यान का अनुचित उपयोग किसी मतदान या मतदान के लिए नियत स्थान को या स्वयं अभ्यर्थी उसके कुटुंब के सदस्य या उसके अभिकर्ता से भिन्न किसी निर्वाचक के मुक्त प्रवाह हरण के लिए किसी यान या जलयान को अभ्यर्थी या उसके अभिकर्ता द्वारा या अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता की सम्मति से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा संदाय करके या अन्यथा भाड़े पर लेना या उत्पात करना अथवा ऐसे यान या जलयान का उपयोग करना भ्रष्ट आचरण माना गया है 91 किंतु यदि निर्वाचक किया कई निर्माताओं द्वारा अपने संयुक्त खर्च पर अपने को किसी ऐसे मतदान केंद्र या मतदान के लिए नियत स्थान को या प्रवाहित किए जाने के प्रयोजन के लिए यान या जलयान भाड़े पर लिया गया है तो यदि वह जलयान यांत्रिक शक्ति से प्रचलित नहीं होने वाला है तो ऐसे यान या जलयान के भाड़े पर लिए जाने के बाबत यह नहीं समझा जाएगा कि वह भ्रष्ट आचरण है इस प्रकार किसी ऐसे मतदान केंद्र या मतदान के लिए नियत स्थान को जाने या वहां से आने के प्रयोजन के लिए अपने ही खर्चे पर किसी निर्वाचक द्वारा किसी लोक परिवहन यान यान यान या किसी रेलगाड़ी के उपयोग को भी भ्रष्ट आचरण नहीं समझा गया। इसमें यह का तात्पर्य उसे है जो सड़क परिवहन के लिए उपयोग में लाया जाता है या उपयोग में ले जाने के योग्य है चाहे वह यांत्रिक शक्ति से या अन्यथा प्रचलित हो और चाहे अन्य नो को खींचने के लिए या अन्यथा उपयोग में लाया जाता है ।
6 . निर्धारित निर्वाचन व्यय का उल्लंघन जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 77 के अंतर्गत निर्धारित निर्वाचन सी सीमा का उल्लंघन भी भ्रष्ट आचरण में सम्मिलित माना जाता है इसको पूर्व में विस्तार से स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है
7. सरकारी अधिकारियों से सहायता प्राप्त करना सरकार की सेवा में कार्यरत विशिष्ट अधिकारियों द्वारा शिवाय मतदान के अन्य किसी प्रकार की सहायता प्राप्त करना भ्रष्ट आचरण माना गया है यह है ।
क. राजपत्रित अधिकारी
ख. न्यायधीश और मजिस्ट्रेट
ग. संघ के शस्त्र बलों की सदस्य
घ. पुलिस बलों के सदस्य
ड. उत्पाद शुल्क अधिकारी
च. राजस्व अधिकारी देशमुख लंबरदार पटेल आदि छह सरकार की सेवा में से ऐसे अन्य व्यक्ति वर्ग जैसे विहित किए जाए
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Cite Article:
"निर्वाचन में भ्रष्ट आचरण ", International Journal of Science & Engineering Development Research (www.ijrti.org), ISSN:2455-2631, Vol.8, Issue 8, page no.367 - 369, August-2023, Available :http://www.ijrti.org/papers/IJRTI2308060.pdf
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ISSN:
2456-3315 | IMPACT FACTOR: 8.14 Calculated By Google Scholar| ESTD YEAR: 2016
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