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भारत में बंधुआ मज़दूरी व्यवस्था की उत्पत्ति देश की विशेष सामाजिक-आर्थिक संस्कृति के कारण हुई है। भारत में प्रचलित विभिन्न अन्य सामाजिक बुराइयों की तरह, बंधुआ मज़दूरी भी हमारी वर्ण-व्यवस्था की एक उपशाखा है। समाज में कमजोर आर्थिक और सामाजिक स्थिति होने के कारण अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को गाँवों में जमींदार या साहूकार उन्हें अपने श्रम को नाममात्र के वेतन या बिना किसी वेतन के बेचने को मजबूर करते हैं। अंग्रेजों द्वारा लागू की गई भूमि बंदोबस्त व्यवस्था ने बंधुआ मज़दूरी को आधार प्रदान किया। अंग्रेजों ने भू-राजस्व की शोषणकारी व्यवस्था को इस प्रकार अपनाया कि अपनी भूमि पर खेती करने वाला किसान अब स्वयं उसका किराएदार हो गया। निर्धारित समय पर भू-राजस्व न चुका पाने पर वह बंधुआ मज़दूरी करने के लिये विवश हुआ।
भारतीय समाज एक परम्परागत समाज हैं, जो सामाजिक परिवर्तन के अनेक कारकों के कारण सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में निरन्तर परिवर्तन की प्रक्रिया से गुजर रहा है। औद्योगिकीकरण, नगरीकरण आधुनिकीकरण, वैष्वीकरण, पश्चिमीकरण, सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार, शिक्षा के प्रसार, लोकतांत्रिक शासन प्रणाली आदि कारकों के प्रभाव के कारण परम्परागत एवं ग्रामीण परिवेश प्रधान भारतीय समाज यांत्रिक एकता से सावयवी एकता आधारित आधुनिक एवं शहरी परिवेश की तरफ अग्रसर हो रहा है। लेकिन परिवर्तन की यह प्रक्रिया इतनी सहज एवं सरल नहीं है।
परिवर्तन प्रकृति का नियम है चूँकि समाज भी प्रकृति का अंग है। अतः निश्चित है कि समाज में भी परिवर्तन होना अवश्यम्भावी है। प्रो. ग्रीन लिखते हैं ‘‘सामाजिक परिवर्तन इसलिए होता है, क्योंकि प्रत्येक समाज असंतुलन के दौर से गुजर रहा है। कुछ व्यक्ति सम्पूर्ण संतुलन की इच्छा रख सकते हैं तथा कुछ इसके लिए प्रयास भी करते हैं।‘‘
परिवर्तन की इस प्रक्रिया में भारतीय समाज एक ऐसी मध्यावस्था में है जिसे न तो पूरी तरह परम्परागत समाज कहा जा सकता है तथा न ही आधुनिक। वर्तमान भारतीय समाज अनेक सामाजिक-सांस्कृतिक संघर्षों एवं विरोधाभासों से गुजर रहा है।
अमेरिकी विद्वान फ्रेडरिग्स ऐसे समाजों को समपार्ष्वीय समाज कहते हैं जो रूपान्तरण की प्रक्रिया से गुजर रहे हों जिनमें परम्परागत तथा आधुनिक व्यवस्थाएँ साथ-साथ चल रही हों।
Keywords:
बंधुआ मजदूर, बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम, आधुनिक, आर्थिक-सामाजिक कारण, शोषण, सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन।
Cite Article:
"भारतीय समाज में बंधुआ मजदूरी का एक समाजषास्त्रीय अध्ययन", International Journal of Science & Engineering Development Research (www.ijrti.org), ISSN:2455-2631, Vol.3, Issue 1, page no.38 - 43, January-2018, Available :http://www.ijrti.org/papers/IJRTI1801007.pdf
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ISSN:
2456-3315 | IMPACT FACTOR: 8.14 Calculated By Google Scholar| ESTD YEAR: 2016
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