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रोजगार के बिना किसी भी व्यक्ति के जीवन का निर्वहन असम्भव हैं, लोकतंत्र में अपने सभी नागरिको को रोजगार के अवसर मुहैया करवाना सरकारों का दायित्व हैं. राजस्थान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि कार्यों एव पशुपालन पर ही निर्भर करती है, तथा कृषि के उपरान्त पशुपालन को ही जीविका का प्रमुख साधन माना जा सकता है।राजस्थान मुख्यत: एक कृषि व पशुपालन प्रधान राज्य है और अनाज व सब्जियों का निर्यात करता है। अल्प व अनियमित वर्षा के बावजूद, यहाँ लगभग सभी प्रकार की फ़सलें उगाई जाती हैं। रेगिस्तानी क्षेत्र में बाजरा, कोटा में ज्वार व उदयपुर में मुख्यत: मक्का उगाई जाती हैं। राज्य में गेहूँ व जौ का विस्तार अच्छा-ख़ासा (रेगिस्तानी क्षेत्रों को छोड़कर) है। ऐसा ही दलहन (मटर, सेम व मसूर जैसी खाद्य फलियाँ), गन्ना व तिलहन के साथ भी है। चावल की उन्नत किस्मों को भी यहाँ उगाया जाने लगा है। 'चंबल घाटी' और 'इंदिरा गांधी नहर परियोजनाओं' के क्षेत्रों में इस फ़सल के कुल क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है। कपास व तंबाकू महत्त्वपूर्ण नक़दी फ़सलें हैं। हाँलाकि यहाँ का अधिकांश क्षेत्र शुष्क या अर्द्ध शुष्क है, फिर भी राजस्थान में बड़ी संख्या में पालतू पशू हैं व राजस्थान सर्वाधिक ऊन का उत्पादन करने वाला राज्य है। ऊँटों व शुष्क इलाकों के पशुओं की विभिन्न नस्लों पर राजस्थान का एकाधिकार है।
राजस्थान सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तर्ज पर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के लिए शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस शासित राजस्थान इसे इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना का नाम देने जा रहा है और मनरेगा की तरह इसमें भी मांग के आधार पर 100 दिन का रोजगार दिया जाएगा। प्रदेश ने इसके लिए 800 करोड़ रुपये की राशि अलग की है। योजना के कई ब्योरों की प्रतीक्षा है लेकिन इसे शहरी बेरोजगारी की समस्या को लेकर पहली संस्थागत प्रतिक्रिया माना जा सकता है। शहरी बेरोजगारी की समस्या 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान लगे देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान सामने आई थी। कुछ अन्य राज्यों ने भी शहरी गरीबी राहत कार्यक्रम घोषित किए लेकिन उनमें संसाधनों की कमी थी और वे अस्थायी उपाय थे। उस दृष्टि से देखें तो यह सवाल बनता है कि क्या ऐसे कार्यक्रम के लिए 800 करोड़ रुपये की राशि पर्याप्त होगी। राज्य सरकार का कर्ज सकल घरेलू उत्पाद के तकरीबन एक तिहाई हिस्से के बराबर है और वह पहले ही जोखिम भरे स्तर तक पहुंच चुका है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सितंबर 2021 में राजस्थान को उन आठ राज्यों में से एक माना था जिनका कर्ज चिंताजनक स्तर पर था। इस संदर्भ में सामाजिक सुरक्षा के नाम पर पेंशन को दोबारा शुरू करने की घोषणा और दिक्कतदेह है। भारी कर्ज के बीच बिना समुचित राजकोषीय समर्थन के पात्रता योजनाओं का विस्तार करना आपदा को न्योता है।
"राजस्थान में रोजगार के अवसर और आर्थिक एवं प्रशासनिक स्तर पर प्रयासों का अध्ययन", International Journal of Science & Engineering Development Research (www.ijrti.org), ISSN:2455-2631, Vol.6, Issue 7, page no.108 - 115, July-2021, Available :http://www.ijrti.org/papers/IJRTI2107019.pdf
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ISSN:
2456-3315 | IMPACT FACTOR: 8.14 Calculated By Google Scholar| ESTD YEAR: 2016
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