Scholarly open access journals, Peer-reviewed, and Refereed Journals, Impact factor 8.14 (Calculate by google scholar and Semantic Scholar | AI-Powered Research Tool) , Multidisciplinary, Monthly, Indexing in all major database & Metadata, Citation Generator, Digital Object Identifier(DOI)
विश्व लोकतऩ्त्र में भारतीय संसदीय व्यवस्था एक अनूठी पहचान रखती है। जो विश्व संसदो में एक विशेष महत्वपूर्ण स्थान रखती है। भारतीय संसदीय व्यवस्था बिट्रिश संसदीय व्यवस्था से ओत - पोत है। भारतीय संसदीय व्यवस्था में अनेक ऐसे प्रावधान है जो बिट्रिश संविधान कें साथ - साथ अन्य देशों के सविंधानो से अर्न्तनिहित है। विधायी अनुच्छेदो को निर्धारित करते समय संविधान सभा का लक्ष्य लोकप्रिय जनमत को शासकीय कक्ष में लाकर भारतीयो को यह बताना है कि भले ही वे अनेक समाज मे रहे हो, परन्तु वे एक राष्ट्र है इसी प्रकार दुर्गादास बसु में कहा है कि “ भारतीय सविधान में अदभुत ढंग से अमेरीका की न्यायपालिको की सर्वोच्चता के सिद्वान्त एंव इग्लैड के संसदीय प्रभुसत्ता के सिद्वान्त के बीच का मार्ग अपनाया गया है। “भारतीय संसद में दो सदन है 1 लोकसभा निम्न संदन 2 राज्यसभा - उच्चसदन। लोकसभा सदस्यो का निर्वाचन प्रव्यक्ष रूप से एकल मत प्रणाली के आधार पर जनता द्वारा किया जाता है और निवार्चन क्षेत्र का गठन जनसंख्या के आधार पर किया जाता हैं जबकि राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है दोनो सदनो में सीटो के लिए आरक्षण की भी व्यवस्था की गयी है। संसद सदस्यों के लिए जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 के आधार पर योग्यताएॅ निर्धारित की गयी है। लोकसभा में अध्यक्ष (स्पीकर) की व्यवस्था की गयी है जबकि राज्यसभा में सभापति (उपराष्ट्रपति) की व्यवस्था की गयी है। लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर की भी व्यवस्था की गयी है। प्रत्येक सदन में कार्यकाल, गणपूर्ति, अधिवेशन ओर विशेषाधिकार आदि की समान व्यवस्था की गयी है। भारतीय संसदीय व्यवस्था में जनता को सर्वोच्च स्थान दिया गया है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक है को वोट देने का अधिकार प्राप्त है। संसदीय व्यवास्था में कार्यपालिका के दो प्रधान है। 1 वास्तविक प्रधान - प्रधानमन्डी 2 सवैधानिक प्रधान - राष्ट्रपति , मन्त्रिपरिषद् की समान शक्तियों का प्रयोग सवैधानिक रूप से राष्ट्रपति करता है जबकि वास्तविक रूप से प्रधानमन्त्री, संसद प्रक्रिया की समस्त कार्यवाही लोकसभा अध्यक्ष के निर्देशन में सम्पन्न होती है। कार्य निर्माण में प्रधानमन्त्री सहित मन्त्रिपरिषद् का महत्वपूर्ण स्थान होता है। कानून निर्माण प्रक्रिया 5 चरणो में पूर्ण होती है और कानून के तीन प्रकार होते है जिसमें अलग - अलग बहुमत की व्यवस्था की गयी है। वर्ष में कम से कम 2 बार स़त्र अवश्य होना चाहिए। सत्र के प्रारम्भ होने से प्रश्नकाल शुरू होता है जो संसदीय कार्यवाही का पहला घण्टा माना जाता है।
Keywords:
वर्तमान संसदीय व्यवस्था का बदलता सवरूप, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संसदीय व्यवस्था का प्रभाव, नियमानुसार राजनीतिक सहभागिता,संवैधानिक वास्तविकता।
Cite Article:
"भारतीय संसदीय व्यवस्था का विश्लेषणात्मक अध्ययन (वर्तमान लोकसभा के विशेष संदर्भ में )", International Journal of Science & Engineering Development Research (www.ijrti.org), ISSN:2455-2631, Vol.7, Issue 7, page no.791 - 796, July-2022, Available :http://www.ijrti.org/papers/IJRTI2207116.pdf
Downloads:
000204839
ISSN:
2456-3315 | IMPACT FACTOR: 8.14 Calculated By Google Scholar| ESTD YEAR: 2016
An International Scholarly Open Access Journal, Peer-Reviewed, Refereed Journal Impact Factor 8.14 Calculate by Google Scholar and Semantic Scholar | AI-Powered Research Tool, Multidisciplinary, Monthly, Multilanguage Journal Indexing in All Major Database & Metadata, Citation Generator