Scholarly open access journals, Peer-reviewed, and Refereed Journals, Impact factor 8.14 (Calculate by google scholar and Semantic Scholar | AI-Powered Research Tool) , Multidisciplinary, Monthly, Indexing in all major database & Metadata, Citation Generator, Digital Object Identifier(DOI)
प्रेमचन्द दलित जीवन को हिन्दी साहित्य के केंद्र में लाने वाले पहले लेखक थे। उनका कथा और विचार साहित्य हिन्दी क्षेत्र के दलित जीवन की त्रासदी का प्रामाणिक आकलन है। छूत-अछूत और दलित समस्या पर जिस गहरी संवेदना से प्रेमचन्द ने लिखा है, किसी और ने नहीं। प्रेमचन्द के सामने यह बात बिल्कुल साफ थी कि यह समस्या मूलतः हिन्दू समाज की समस्या है।
मुंशी प्रेमचन्द जैसा भारतीय जनता का इतना बड़ा हितैशी कलाकार हिन्दी साहित्य में अभी तक दूसरा नहीं। वह हमारी सामाजिक एवं राष्ट्रीय जाग्रति का अग्रदूत है। राजनीति के क्षेत्र में जो कार्य करके गांधी जी ने अमरता प्राप्त की है, कथा साहित्य के क्षेत्र में वही कार्य करके प्रेमचन्द ने वही महत्व प्राप्त किया है। वे हिन्दी के सर्वप्रथम सच्चे प्रगतिशील, युगप्रवर्तक कलाकार कहे जा सकते हैं। जिस समय हमारी कविता छायावाद के काल्पनिक लोक में विचरण कर रही थी, नाटक साहित्य प्रसाद की आदर्शवादी कला से रंजित था, उपन्यास अपने बाल्यकाल में तिलस्मी और जासूसी के कौतूहल में मग्न था, उस समय प्रेमचन्द ने अपनी कहानियों और उपन्यासों में यथार्थ जीवन की सच्ची अभिव्यक्ति करके हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा प्रदान की।
इसी लेख में वे आगे लिखते हैं, क्या कोई भी वर्णाश्रम अपने हृदय पर हाथ रखकर कह सकता है कि वास्तव में यह छुआछूत उन्हें धर्म की दृष्टि से उचित प्रतीत होता है नहीं कोई भी यह नहीं कह सकता। 26 दिसंबर, 1932 को उन्होंने अपने लेख हमारा कर्तव्य में साफ-साफ लिखा कि हमारा कर्तव्य तभी पूरा होगा, जब हम देश के वर्तमान अछूतपन को जड़मूल से नष्ट कर देंगे। प्रेमचन्द जिन दिनों लगातार इस ज्वलंत विषय पर लिख रहे थे, उन्हीं दिनों गांधी जी ने भी कहा था, अस्पृश्यता या छुआछूत अगर हिन्दू धर्म में हो तो मुझे कहना पड़ेगा कि उसमें शैतानियत भरी हुई है, धर्म नहीं। पर मेरा दृढ़ विश्वास है कि हिन्दू धर्म में यह सब कुछ नहीं है। जब तक प्रत्येक हिन्दू अपने चमार, भंगी आदि भाइयों को भी अपने सगे भाई की तरह हिंदू न समझेंगे तब तक मैं उन्हें हिन्दू ही नहीं समझूंगा।
Keywords:
.
Cite Article:
"प्रेमचंद की कहानियों में दलित स्थिति की समीक्षा", International Journal of Science & Engineering Development Research (www.ijrti.org), ISSN:2455-2631, Vol.9, Issue 6, page no.507 - 510, June-2024, Available :http://www.ijrti.org/papers/IJRTI2406072.pdf
Downloads:
000205066
ISSN:
2456-3315 | IMPACT FACTOR: 8.14 Calculated By Google Scholar| ESTD YEAR: 2016
An International Scholarly Open Access Journal, Peer-Reviewed, Refereed Journal Impact Factor 8.14 Calculate by Google Scholar and Semantic Scholar | AI-Powered Research Tool, Multidisciplinary, Monthly, Multilanguage Journal Indexing in All Major Database & Metadata, Citation Generator